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 मां
मां तुम हो अटल प्रेम की पूर्ण मूर्ति
हृदय की सांस,जीवन की प्रतिपर्ति
चांद सी उजली, गंगा सी निर्मल
जीवन की धूप-छांव,सौभ्य-सरल।


तुम्हारे जाने से,अब सब कुछ लुट गया
घर की चहल-पहल,मकान भी टूट गया
जीवन अब नीरस व खाली सा लगता है
तुम्हारी बातें सुनने को  दिल तरसता हैं।


सूने पडे, अब वो पेड,  खेत- खलिहान
जिन पर रहता था तुम्हारा हरदम ध्यान
जहंा तुमने अपार कश्ट का जीवन बिताया
 खेत में अन्न,बगीचे में फल-फूल उगाया।


मां याद आती है वह सावन की वह रात
जब तुम विमारी में बनाती हमारे लिये भात
दूध दोहने के लिये खाती थी गाय की लात
सब कुछ खत्म हो गया जो तुमने दी सौगात।
मां बढकर नहीं है कोई पूजा स्थल
मां के चरणों में है सभी तीर्थ स्थल
मां है तो जीवन है और जन्नत है
यहीं है जीवन और उसकी  कहानी।


मां की उपमा नहीं, वह अमृत पान कराती
प्रेम से दुग्धपान कर,षिषु प्राण जगाती
मां जीवन में प्रभू का सबसे बडा वरदान है
मां ही इस संसार का सबसे बडा ज्ञान है।