मेरा भारत
भारत सबका प्रिय मेरा राश्ट महान
क्रते है ऋशि-मुनि इसका गुणगान
जहां बहती गंगा-यमुना अभिराम
वह है हम सबकी आन और षान।
चरणों कोे जिसके छूता सागर
उत्तर का सरताज है हिमालय
पष्चिम मे इसकें सुन्दर रेगिस्तान
पूर्व में चेरापूंजी आसाम है पहिचान।
ऋशि-मुनियों का जो पावन धाम
जहां बीतती सुखद सर्द सुबह-षाम
गांधी-सुभाश ने किया जिसे सलाम
ऐसी पावन धरा को षत-षत प्रणाम।
वेद-पुराण और गीता है जिसके प्राण
वीर षिवाजी, महाराणा इसकी सन्तान
सम्राट अषोक,चन्द्रगुप्त बलिषाली राजा
सुभाश,मंगलपाण्डे की गाथा यहां महान।
वीर भगत और बिस्मिल ने किया बलिदान
आग में कूदी रानी पदमती तजे अपने प्राण
रानी झांसी,चन्द्रष्ेाखर आजाद इसकी षान
सह न सके जो भारत देष का अपमान।
गौतम,गांधी और महावीर जैसे यहां ज्ञानी
इस धरती पर पैदा हुयी ऐसी महान सन्तानें
सत्यम,षिवंम और सुन्दम के भाव की धरती
यहां मानवता- सदभावना कभी नहीं मरती।