बेटी
जीवन की सांस है बेटी
परिवार की आस है बेटी
तरूवर की षाख है बेटी
बगिया का विष्वास है बेटी।
भाईयों का प्यार है बेटी
परिवार को बांधती है बेटी
ससुराल की षान है बेटी
परिवारों की आन है बेटी।
ससुराल में कितना भी रोये बेटी
मायके में आंसु नही बहाती बेटी
भगवान की अनमोल देन है बेटी
दो रिस्तों को खूब निभाती है बेटी।
खूब मन्नत मांगी जाती बेटों की
फौज खडी हो जाती बेटियों की
दुख में खूब बुलाये जाते हैं बेटे
बिन बुलाये आ जाती है बेटियां।
परिवार का श्रेश्ट उपहार है बेटी
सृश्टि का महान श्रृंगार है बेटी
वंष की वंषावली बढाती है बेटी
सुधा रसधार पुप्प का हार है बेटी।
बेटी है प्यार की पावन पक्की डोर
यह है जीवन की सांझ और भोर
इसे खूब पढाओं,लिखाओ व बचाओं
अपने पैरों में खडाकर उन्नत बनाओं।