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 अमर षहीद श्रीदेव सुमन
हे! उत्तर ाखण्ड के अग्रदूत
भारत माता के प्यारे सपूत
महानायक षहीद श्रीदेव सुमन
तुम्हें मेरा षत-षत नमन।


सादा जीवन परम उच्च विचार
तुम्हारे जीवन के रहे आधार
तुम क्रान्तिकारी, साहित्य प्रेमी
तुम समाजसेवी,संस्कृति स्नेही।


तुम सत्यनिश्ठा की प्रतिकृति 
तुम षालीनता की प्रतिमूर्ति
तुम सरल,सौभ्य,सहज मूर्ति
तुम उत्तराखण्ड की महान विभूति।


तुम रहे महान स्वतंत्रता सेनानी
तुम रहे सदैव परम स्वाभिमानी
भारी कश्ट सहे तुमने जीवन में
फिर भी तुमने कभी हार न मानी।


तुम सत्य, अहिंसा के परम दूत
जन-जन के तुम रहे थे अग्रदूत
किया चैरासी दिन आमरण अनषन
धन्य है तुम्हें उत्तराखण्ड के सपूत।


टिहरी राजषाही में जनता को जगाया
स्वयं जेल में रहकर आन्दोलन चलाया
सामन्तषाही में प्रजा का मनोबल बढाया
कुप्रथाओं का विरोध कर सुपथ अपनाया।


तुम महात्मा गांधीजी के परम अनुयायी
प्रजा पर न पडने दी भ्रश्टाचार की परछाई
जेल में यातनायें सही, परन्तु हार न मानी
लुटा दिया अपना योवन,यह है अमर कहानी।


 अमर श्रीदेव सुमन तुम्हें पुनः जन्म लेना होगा
इस अर्द्धविकसित उत्तराखण्ड को संवारना होगा
धन्य हुआ टिहरी का वह जौल गांव जहां जन्म लिया
मातृभूमि उद्धार हेतु,निज षीष देष को समर्पित किया।



                मां
मां तुम हो अटल प्रेम की पूर्ण मूर्ति
हृदय की सांस,जीवन की प्रतिपर्ति
चांद सी उजली, गंगा सी निर्मल
जीवन की धूप-छांव,सौभ्य-सरल।


तुम्हारे जाने से,अब सब